सुमिरन कर लो जी हीरा जन्म अनमोल

सुमिरन कर लो जी हीरा जन्म अनमोल
सुमिरन कर लो जी,
हीरा जन्म अनमोल ।।
सुमिरन कर लो जी,
हीरा जन्म अनमोल
चोला रग लो जी,
इस का ना लागे मोल।।
कृपा कर दी हरी ने तुझ पर,
मानस जन्म दिलाया
स्वास स्वास तु चेतन हो जा,
व्यर्थ जन्म न जाया।
काहे भटकी जी,
घर में हीरा अनमोल।।
ना कोई तेरा सगी साथी,
जग है खेल पराया
आज हुआ जो तेरा अपना,
कल होगा वो पराया।
प्रभु के हो जाओ जी,
अंतर के पट खोल।।
सतगुरु मोहे पे कर दी कृपा,
प्रेम से ज्ञान सिखाया
देखो ही में तेरे प्रभु बैठा,
अपने में ही जगाया।
गुरु से प्रीत कर लो जी,
कुछ ना लागे मोल।।