साँवरिया जद सू पकड्या थारा पाँव लिरिक्स

साँवरिया जद सू पकड्या थारा पाँव लिरिक्स
साँवरिया जद सू पकड्या थारा पाँव,
मैं बारो महीना मौज करा,
मैं बारो महीना मौज करा,
थे बैठा हो तो क्या ने डरा,
सांवरिया जदस्यु पकड्या थारा पांव,
मैं बारो महीना मौज करा।।
थारो द्वारो छोड़न की तो,
मन में भी ना आवे,
जिण आंख्यां ने थारी आदत,
दूजो कईया सुहावे,
थारी गोदिया में ही,
मिले है आराम,
मैं बारो महीना मौज करा,
सांवरिया जदस्यु पकड्या थारा पांव,
मैं बारो महीना मौज करा।।
अगर दोबारा जन्म मिले तो,
बस इतणो थे कीजो,
जग झंझट से दूर राखजो,
सेवा थारी दीजो,
सौंपी है बाबा,
जद सु थाने नाव,
मैं बारो महीना मौज करा,
सांवरिया जदस्यु पकड्या थारा पांव,
मैं बारो महीना मौज करा।।
थारे होता कुटिया म्हारी,
महलां जैसी लागे,
असली दौलत या है बाबा,
थे हो म्हारे सागे,
‘राज’ नींदा में भी,
लेवा थारो नाम,
मैं बारो महीना मौज करा,
सांवरिया जदस्यु पकड्या थारा पांव,
मैं बारो महीना मौज करा।।
साँवरिया जद सू पकड्या थारा पाँव,
मैं बारो महीना मौज करा,
मैं बारो महीना मौज करा,
थे बैठा हो तो क्या ने डरा,
सांवरिया जदस्यु पकड्या थारा पांव,
मैं बारो महीना मौज करा।।