बांह पकड़ ले श्याम मैं हार के आया हूँ

बांह पकड़ ले श्याम मैं हार के आया हूँ
बांह पकड़ ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ,
गले लगा ले श्याम,
जग का ठुकराया हूँ,
बाँह पकड ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ।।
तेरा वचन है मेरे कन्हैया,
तेरा ही ये करार है,
देगा तू हरदम साथ उसी का,
जिसकी दिख रही हार है,
साथ निभा दे मेरा,
उम्मीदें लाया हूँ,
बाँह पकड ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ।।
पग पग मैंने धोखे है खाए,
इस बेदर्द ज़माने से,
शिकवा नहीं है मुझको कोई,
बाबा किसी बेगाने से,
गिला है मेरे दिल को,
अपनों का सताया हूँ,
बाँह पकड ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ।।
तेरे दर पर आकर भी जो,
आस मेरे दिल की टूटी,
फिर तो यही मैं समझूंगा तेरी,
दया की बातें है झूठी,
झूठे है तेरे किस्से,
और मैं भरमाया हूँ,
बाँह पकड ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ।।
दुखियारों के लाचारों के,
दुःख से बेखबर ना रहना,
‘बागड़ा’ विनती करता है तुझसे,
सुनले जरा मेरा कहना,
दे दे जरा सी खुशियाँ,
अब तक दुःख पाया हूँ,
बाँह पकड ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ।।
बांह पकड़ ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ,
गले लगा ले श्याम,
जग का ठुकराया हूँ,
बाँह पकड ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ।।